BA Semester-5 Paper-1 Physical Education - Athletic Injuries and Physiotherapy - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2805
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 7

पट्टी

(Bandage)

प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।

उत्तर -

पट्टियों के प्रकार

पट्टियों के मुख्य दो भेद हैं-

(1) मरहम पट्टी
(2) सामान्य पट्टी

(1) मरहम पट्टी - किसी घाव अथवा घायल अंग को ढाँकने के लिए जिन साधनों का प्रयोग किया जाता है, 'मरहम पट्टी' अथवा 'ड्रेसिंग' कहा जाता है।

प्राथमिक चिकित्सा में दो प्रकार के 'ड्रेसिंग' प्रयोग में लाये जाते हैं-

(i) सूखी मरहम पट्टी
(ii) गीली मरहम पट्टी

(i) सूखी मरहम पट्टी - इसका प्रयोग घाव की सुरक्षा, घाव को भरने सहायता पहुँचाने तथा घाव पर इच्छित - दबाव डालने के लिए किया जाता है। हर प्रकार के घावों के लिए सर्वाधिक विश्वसनीय मरहम-पट्टी कीटागुरहित फलालेन का वह टुकड़ा होता है, जो सामान्य पट्टी के साथ सिला रहता है। इस प्रकार की मरहम पट्टी मोनी कागज में बन्द करके लिफाफें में रखी जाती है। अंग्रेजी दवा बेचने वालों की दुकान से इसे खरीदा जा सकता है। मरहम-पट्टी जिस लिफाफे के भीतर बन्द रहती है, उसके ऊपर प्रयोग विधि भी छपी रहती है।

यदि उपर्युक्त प्रकार की कीटाणु रहित मरहम-पट्टी उपलब्ध न हो, तो घाव ढँकने के लिए स्वच्छ फलालेन के कपड़े के टुकड़े का भी उपयोग किया जा सकता है। आकस्मिक दुर्घटना के अवसर पर यदि फलालेन टुकड़ा भी उपलब्ध न हो तो उस समय स्वच्छ धुले हुए रूमाल अथवा बिना छपे स्वच्छ तथा सफेद कागज के टुकड़े से भी काम चलाया जा सकता है। परन्तु वस्त्र रूमाल अथवा कागज आदि का प्रयोग केवल उतने ही समय तक के लिए किया जाना चाहिए, जब तक कि कीटाणु रहित मरहम-पट्टी उपलब्ध न हो सके।

(ii) गीली मरहम पट्टी - यह पट्टी भी दो प्रकार की होती है- 

(a) ठण्डे सेंक वाली मरहम-पट्टी
() गरम सेंक वाली मरहम-पट्टी

(a) ठण्डे सेंक वाली मरहम पट्टी - इसे पीड़ा के समय आराम पहुँचाने सूजन को कम करने अथवा आन्तरिक रक्तस्राव को कम करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। स्वच्छ रूमाल अथवा फलालेन के टुकड़े की चार तह करके, ठण्डे पानी में भिगोकर प्रभावित अंगों पर रखना ही इसकी विधि है। पट्टी को गीला तथा ठण्डा बनाये रखने के लिए उसे समय-समय पर बदलते रहना भी आवश्यक है।

(b) गरम सेंक वाली मरहम पट्टी - इसका प्रयोग घाव की पीड़ा कम करने के लिए किया जाता है। स्वच्छ रूमाल अथवा फलालेन के टुकड़े की चार तह करके, उसे अत्यधिक गरम पानी में भिगोने के बाद निचोड़ डाले तत्पश्चात् प्रभावित अंगों पर रखें। यह महरम पट्टी जितने अधिक समय गरम रखी जा सके, उतने समय तक रखनी चाहिए। गरम सेक वाली मरहम पट्टी को जैतून के तेल मिश्रित रेशम अथवा मोमजामे के टुकड़े से ढँककर रखने से उसकी गरमी अधिक समय तक बनी रहती है।

(2) सामान्य पट्टी - सामान्य पट्टी कई प्रकार की होती है, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं-

(i) लम्बी पट्टियाँ,
(ii) तिकोनी पट्टियाँ,
(iii) बहुपुच्छी पट्टियाँ,
(iv) चिपकने वाली पट्टियाँ

(i) लपेटी जाने वाली लम्बी पट्टियाँ - इन पट्टियों को मारकीन के कपड़े द्वारा इच्छित लम्बाई तथा चौड़ाई तैयार कराने के बाद गोलाई में लपेट कर सुरक्षित रख देना चाहिए, ताकि उनमें बाहरी गन्दगी धूल, कीटाणु आदि का प्रवेश न हो तथा आवश्यकता के समय प्रयोग लेने में भी सुविधा बनी रहे।

अंग्रेजी दवा बेचने वालों की दुकानों पर भी इस प्रकार ही पट्टियाँ बिका करती हैं। ये कीटाणु- रहित जालीदार पतले कपड़े बोरिक वस्त्र फलालेन आदि से निर्मित होती हैं। ये पट्टियाँ सामान्यतः s मीटर लम्बी होती है तथा विभिन्न चौड़ाइयों में आती है। बेलनाकार में लिपटी होती है, अतः इन्हें 'लुढ़की-पट्टी' भी कहा जाता है।

इन पट्टियों को मशीन अथवा हाथ से लपेट कर कड़ा कर दिया जाता है। जब पट्टी के भाग को लपेट दिया गया हो तथा कुछ भाग खुला हो, तब लिपटे हुए भाग को 'सिरे वाला हिस्सा' तथा शेष को 'खुला हिस्सा' कहा जाता है।

इन पट्टियों का उपयोग करने से पूर्व अपने हाथों को साबुन अथवा किसी कीटाणु नाशक घोल से धोकर स्वच्छ कर लेना चाहिए। साथ ही, यह ध्यान भी रखना चाहिए कि पट्टी का प्रयोग करते संमय आपकी श्वास- वायु उन पर सीधी न पड़े।

उपयोग में लाने के बाद जो पट्टी शेष बचे, उसे पुनः कागज में लपेट कर, दुबारा इस्तेमाल करने के लिए, सुरक्षित रख देना चाहिए।

आकस्मिक-आवश्यकता के समय यदि बाजारू अथवा दर्जी द्वारा तैयार की गई पट्टियाँ उपलब्ध न हों तो घर के ही किसी महीन, परन्तु स्वच्छ वस्त्र को लम्बाई में फाड़कर भी पट्टी तैयार की जा सकती है। घरेलू कपड़ों से पट्टी तैयार करने के लिये सूती धोती अथवा साड़ी को प्रयोग में लाना उपयुक्त है। रेशमी अथवा अन्य किसी प्रकार के वस्त्र की पट्टी का प्रयोग ठीक नहीं रहता।

(ii) लटकाने वाली तिकोनी पट्टियाँ - बाँह में चोट आ जाने पर उन्हें लटकाने के लिए इन पट्टियों का उपयोग किया जाता है। बाँह की हड्डी के टूट जाने पर हाथ को पेट अथवा छाती के सहारे मुड़ा रखने की आवश्यकता होने पर अथवा बाँह, हथेली, उंगली, अंगूठा आदि में कोई ऐसा जख्म हो जाने पर जिससे कि उसके नीचे लटकने पर खून अधिक निकलने की सम्भावना हो, तब उसे ऊँची रखने के लिए भी इस पट्टी का प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी में इस प्रकार की पट्टियों को 'स्लिंग' कहा जाता है।

ऐसी पट्टियों को तैयार करने के लिए मजबूत कपड़े का होना जरूरी हो, ताकि वह बाँह के वजन को भली-भाँति साध सके। अतः इस कार्य के लिए लट्ठा अथवा किसी ऐसे ही अन्य मजबूत कपड़े को उपयोग में लेना चाहिए।

टुकड़ों को दो भागों में बाँट कर कर्णवत् काटा जाए तो उससे दो तिकोनी पट्टियाँ तैयार हो जाती हैं। आवश्यकतानुसार पट्टी को जितनी लटकाना हो, उसी के अनुसार और छोटी-बड़ी पट्टी भी तैयार की जा सकती है।

(iii) बहुपुच्छी पट्टियाँ - इन पट्टियों को फलालेन अथवा अन्य स्वच्छ कपड़ों द्वारा आवश्यकतानुसार प्रयोग कर लिया जाता है। परन्तु कपड़ा चाहे जैसा हो, वह इतना लम्बा अवश्य होना चाहिए कि जिस अंग पर पट्टी लगानी हो, उसके चारों ओर उसे डेढ़ बार लपेटा जा सके तथा चौड़ा इतना हो कि घाव वाले स्थान की सम्पूर्ण हड्डियों को ढक ले।

कपड़े के दोनों सिरों को इस प्रकार से काटना चाहिए कि सभी पट्टियाँ चौड़ाई में बराबर तथा एक-दूसरे के प्रति समानान्तर रेखा में कपड़ों के बीचों-बीच से निकल जाए और वे सब चौड़ाई के बराबर की हों। परन्तु कपड़ों का मध्य भाग मुड़ा हुआ रहना चाहिए। बाँधे जाने वाले अंग के आधार पर इसकी चौड़ाई 2 से 4 इंच तक रखी जा सकती है।

बहुपुच्छी पट्टी तैयार करने की दूसरी विधि यह है कि कपड़े की धज्जियों को समानान्तर रेखा में इस प्रकार रख दिया जाता है कि प्रत्येक धज्जी, दूसरी पिछली पास वाली धज्जी के एक तिहाई भाग को अपने नीचे दबाए रहे। इस तरह रखने के बाद धज्जियों को उनके केन्द्र के आर-पार वैसे ही कपड़े को रखकर सी देते हैं।

इस पट्टी का मुख्य लाभ यह है कि घाव की जाँच तथा मरहम-पट्टी बदलने की क्रिया रोगी को बिना कष्ट पहुँचाए ही सम्पन्न की जा सकती है।

(iv) चिपकाने वाली पट्टियाँ - ये पट्टियाँ लीको प्लेस्ट अथवा इलेस्टो प्लेस्ट के रूप में मिलती हैं। इन्हें अंग्रेजी - औषधि विक्रेताओं की दुकान से खरीदा जा सकता है। सामान्य फोड़े, फुन्सी आदि पर इन्हें वैसे ही चिपका दिया जाता है। यदि किसी अंग के घाव आदि पर रूई न बाँधी जा सके तो इनका उपयोग अच्छा रहता है।

उदाहरण के लिए यदि गाल पर कोई छोटी फुन्सी पक कर फूट गई है और उस स्थान को औषधि लगाने के बाद रूई को यथास्थान बनाए रखने की बजाए चिपकने वाली पट्टी का प्रयेग अच्छा रहेगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्य चोटों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  2. प्रश्न- खेलों के दौरान चोटों की रोकथाम करने के सामान्य सिद्धान्त क्या हैं?
  3. प्रश्न- खेलों में चोट की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्यतः चोटों के दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
  5. प्रश्न- स्पोर्ट्स फिजियोथेरपी से आप क्या समझते हैं?
  6. प्रश्न- खेल चिकित्सा विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है?
  7. प्रश्न- एथलेटिक चोटों से आपका क्या अभिप्राय है? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  8. प्रश्न- ट्रॉमेट्रिक इंजरी से आप क्या समझते हैं? इसके अन्तर्गत कौन-कौन सी चोटें आती हैं?
  9. प्रश्न- अवधि के आधार पर चोटें क्या हैं? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  10. प्रश्न- ऐंठन (Cramp) से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- सनबर्न (Sunburn) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षण और होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिये?
  12. प्रश्न- चोट लगने के क्या लक्षण होते हैं?
  13. प्रश्न- चोट लगने के जोखिम के प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  14. प्रश्न- खेल में चोट से क्या तात्पर्य है। इसके विभिन्न भेदों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- खेल चोटों के प्रकारों को स्पष्ट करते हुए डिसलोकेशन व स्प्रेन के कारण, लक्षण व उपचार का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सामान्य खेल चोटों के उपचार पर टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- खेल में चोटों के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- मुख्य खेल चोटें कौन-सी हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- खेल चोटें पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  20. प्रश्न- खेलों में चोटें क्या होती है?
  21. प्रश्न- स्नायुबंधन मोच से आप क्या समझते है? इसके लक्षण व निदान का वर्णन कीजिये?
  22. प्रश्न- मांसपेशिय तनाव से आप क्या समझते हैं? मांसपेशिय तनाव के कारण और निवारण से संक्षिप्त लेख लिखें।
  23. प्रश्न- टेण्डन और लिंगामेन्ट में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- कन्धे की अकड़न (फ्रोजन शोल्डर) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों का वर्गीकरण कीजिये?
  25. प्रश्न- पीठ (पीछे) के तनाव से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- टेनिस एल्बो से आपका क्या अभिप्राय है? टेनिस एल्बो के लक्षण और निदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  27. प्रश्न- गोल्फर की कोहनी क्या है? इसके कारण, लक्षण और निदान पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये?
  28. प्रश्न- टेनिस एल्बो और गोल्फर एल्बो में क्या अन्तर है?
  29. प्रश्न- "धावक का घुटना" से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों और उपचार को समझाइये?
  30. प्रश्न- पिंडलियों में दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण व लक्षणों का वर्णन कीजिये?
  31. प्रश्न- फफोले क्या हैं? इनसे बचाव के उपाय बताये?
  32. प्रश्न- छालों से आप क्या समझते हैं? छालों के कारण, लक्षण और बचाव के सामान्य उपायों को समझाइये?
  33. प्रश्न- रक्त गुल्म क्या है? इसके कारण और लक्षणों पर प्रकाश डालिये?
  34. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आपका क्या अभिप्राय है? इसके क्षेत्र व आवश्यक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राथमिक सहायक (चिकित्सक) के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- प्राथमिक सहायक के गुणों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  37. प्रश्न- एक प्राथमिक सहायता देने वाले के रूप में आप अपने मित्र की निम्न स्थितियों में कैसे सहायता करेंगे? (1) मोच (3) घाव (2) हड्डी का टूटना (अस्थि भंग) (4) सर्प दंश या साँप का काटना।
  38. प्रश्न- रक्त स्त्राव के बाह्य और आंतरिक कारणों पर प्रकाश डालिए। आप इसके लिए प्राथमिक सहायता कैसे देंगे? स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- खिंचाव व मोच से आप क्या समझते हैं? इसकी विस्तृत विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा में उपचार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए इनके आवश्यक उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा की परिभाषा एवं अर्थ स्पष्ट करते हुए एक अच्छे प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- 'प्राथमिक चिकित्सा' को परिभाषित कर उसके मुख्य घटकों का उल्लेख कीजिये तथा शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद में प्राथमिक चिकित्सा की अपरिहार्यता पर समालोचनात्मक मत प्रकट कीजिये।
  43. प्रश्न- प्राथमिक उपचार का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
  44. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- प्राथमिक सहायता की आवश्यकता व महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- अस्थि भंग का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- अस्थि-विस्थापन पर टिप्पणी कीजिए।
  49. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक की प्राथमिकताएँ स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हड्डी उतरने पर प्राथमिक चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- W.H.O. पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- आसन से आप क्या समझते हैं? अच्छे आसन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- अनुचित आसन के कारणों, प्रभावों एवं हानियों को विस्तार से समझाइये |
  55. प्रश्न- आसन सम्बन्धी विकृतियों से आप क्या समझते हैं? आसन सम्बन्धी विकृतियों के कारण तथा उनके उपचार का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- लार्डोसिस तथा सपाट पाँव के कारणों का उल्लेख कीजिये तथा इन्हें दूर करने के लिए उपचारात्मक व्यायामों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- उचित आसन के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- उचित आसन एवं अनुचित आसन से आप क्या समझते हैं? अनुचित आसन से हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- अग्रकुब्जता या धँसी हुई कमर विकृति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए
  62. प्रश्न- आसन को समझाते हुए आसनीय विकृतियों के नाम लिखिए।
  63. प्रश्न- पीठ दर्द क्या है? पीठ दर्द क्यों होता है? इसके उपचार को सरल शब्दों में समझाये।
  64. प्रश्न- गर्दन के दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण, उपचार और प्रमुख योगासन का वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- अनुचित मुद्रा से कौन-कौन से विकार उत्पन्न हो जाते हैं?
  66. प्रश्न- अनुचित मुद्राओं को कैसे सुधारें?
  67. प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
  68. प्रश्न- अनुचित मुद्रा क्या है? इसके लक्षण बताइये।
  69. प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- चोट पुनर्वास से आप क्या समझते हैं? विस्तृत विवेचना कीजिए। चोट पुनर्वास की विधियों पर टिप्पणी लिखिए।
  71. प्रश्न- खेल चोट पुनर्वास में ठण्डी चिकित्सा (क्रायोथेरेपी) की तकनीक व प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- आर. आई. सी. ई. से आप क्या समझते है?
  73. प्रश्न- DRABC से आपका क्या तात्पर्य है? इसके चरणों का वर्णन कीजिये?
  74. प्रश्न- शीत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- पुनर्वास क्या है? पुनर्वास काउंसिल ऑफ इंडिया का रोल स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
  80. प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
  81. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
  82. प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- मालिश के प्रभाव से आप क्या समझते हैं? शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
  89. प्रश्न- मालिश का परिचय दीजिए।
  90. प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
  93. प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
  94. प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
  99. प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
  103. प्रश्न- भाप स्नान से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  113. प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
  114. प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
  115. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  119. प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
  120. प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  121. प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
  122. प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।

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